दरभंगा में राहुल गांधी की छात्र राजनीति को झटका, शैक्षणिक स्थल पर राजनीतिक कार्यक्रम पर लगी रोक
रिपोर्टर: तनवीर आलम शेख |
दरभंगा:
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को दरभंगा में उस समय बड़ा झटका लगा जब उनकी प्रस्तावित छात्र सभा को विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियमों का हवाला देकर रद्द कर दिया। यह सभा शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के खिलाफ छात्रों को आवाज देने के उद्देश्य से रखी गई थी, लेकिन यह नियम और कानूनों की सीमाओं में आकर थम गई।
शैक्षणिक संस्थानों में राजनीति नहीं:
यह कोई नई बात नहीं है कि भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति सीमित होती है। विश्वविद्यालय और कॉलेज परिसरों में किसी भी राजनीतिक दल द्वारा आयोजित कार्यक्रमों पर रोक रहती है, जब तक कि वह प्रशासन से स्पष्ट अनुमति न लें। राहुल गांधी और उनके साथ आए कांग्रेस नेताओं को इस नियम की जानकारी न हो, ऐसा संभव नहीं माना जा रहा।
राहुल गांधी की रणनीति पर सवाल:
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी बिहार में छात्र राजनीति को फिर से जीवंत करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन विरोध के लिए विरोध की राजनीति में उन्होंने शायद यह मान लिया था कि नियमों की अनदेखी कर छात्रों को सरकार के खिलाफ खड़ा किया जा सकता है। हालांकि, इस योजना को विश्वविद्यालय प्रशासन की सख्ती ने पहले ही चरण में असफल कर दिया।
कांग्रेस का पलटवार:
कांग्रेस नेताओं ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया है और आरोप लगाया कि भाजपा शासित सरकारें राहुल गांधी के युवाओं से जुड़ने के हर प्रयास को बाधित कर रही हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा,
“छात्रों के हक की बात करने से अगर डरती है सरकार, तो यह युवाओं की जीत है।”
स्थानीय प्रशासन की सफाई:
दरभंगा विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया कि कार्यक्रम को रद्द करने का फैसला राजनीतिक नहीं, बल्कि पूरी तरह नियमों के अनुसार था।
“शैक्षणिक परिसरों में बिना अनुमति किसी भी तरह की राजनीतिक सभा की इजाज़त नहीं दी जा सकती,” एक अधिकारी ने कहा।
राहुल गांधी का यह प्रयास कि शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को लेकर छात्र आंदोलन शुरू हो, फिलहाल दरभंगा में नियमों की दीवार से टकरा गया है। यह घटना विपक्षी दलों को छात्र राजनीति के इस्तेमाल पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर सकती है।

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)