‘जाति नहीं, विकास की राजनीति हो’ – महागठबंधन में सीट बंटवारे पर बयानबाज़ी से उबाल, पारस ने भी दिया बड़ा बयान

रिपोर्टर: एशियन टाइम्स टीम |

स्थान: पटना, बिहार

बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बयानबाज़ी के दौर ने गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। निषाद समाज के आरक्षण को लेकर दिए गए मुकेश साहनी के बयान ने गठबंधन के भीतर असहजता पैदा कर दी है। उन्होंने गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “मैं 12 साल से निषाद समुदाय के दलितों जैसे आरक्षण के लिए संघर्षरत हूं। यदि नरेंद्र मोदी यह काम कर दें, तो मेरे भाजपा में जाने की बात तो छोटी है, मैं उनके लिए प्राण तक दे दूंगा।”

मुकेश साहनी के इस बयान पर राजद और कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा, “बाहर इस तरह की बयानबाजी नहीं होनी चाहिए। यह प्री-मैच्योर है।”

राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने नाराजगी जताते हुए कहा, “महागठबंधन की समन्वय समिति है, सभी बातें वहीं होनी चाहिए। मीडिया के सामने इस तरह के बयान गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकते हैं।”

मुकेश साहनी ने यह भी स्पष्ट किया कि पिछली बार महागठबंधन से अलग होने की वजह उचित सीटें न मिलना था। उनके अनुसार, निषाद समाज की 22 उपजातियाँ हैं और उनका वोट प्रतिशत 12% के करीब है। उन्होंने कहा कि 90% सीटों पर सहमति हो चुकी है, अगस्त में सीटों की घोषणा कर दी जाएगी।

‘जातियों में बंटकर नहीं, देश बनाकर सोचिए’ – जनता का संदेश

वहीं, दूसरी ओर आम जनता और जागरूक नागरिकों की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। लोगों का कहना है कि सभी राजनीतिक दल चुनाव से पहले जाति के आधार पर सीटों की मांग करते हैं। लेकिन क्या कभी किसी पार्टी ने अपने मतदाताओं से पूछा कि उन्हें क्या चाहिए?

एक जागरूक नागरिक ने कहा, “अब वक्त आ गया है कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब एक होकर सोचें कि गांव और समाज के विकास के लिए कौन सही नेता है। जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर हमें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा।”

पारस बोले – ‘रालोजपा महागठबंधन के साथ होगी’

केंद्रीय मंत्री रहे पशुपति कुमार पारस ने भी इस राजनीतिक हलचल के बीच बड़ा ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी रालोजपा महागठबंधन के साथ रहेगी। 5 जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती के अवसर पर एक बड़ा आयोजन किया गया है, जिसमें महागठबंधन के तमाम बड़े नेताओं को आमंत्रित किया गया है।

पारस ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “राजनीति को अब जाति से हटाकर विकास की ओर ले जाना होगा। सबको साथ लेकर चलना ही सच्चा नेतृत्व है।”

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। महागठबंधन के भीतर चल रही खींचतान जहां एक ओर सीटों की लड़ाई दिखा रही है, वहीं दूसरी ओर जनता अब जाति से ऊपर उठकर विकास की बात कर रही है। अब देखना यह होगा कि यह संदेश राजनीतिक दलों तक कितनी गंभीरता से पहुंचता है।

Bihar Desk
Author: Bihar Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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