पटना,
1 नवम्बर — महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने बिहार को भारत का “नंबर वन राज्य” बनाने का संकल्प दोहराया है। चुनावी माहौल के बीच उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनकी प्राथमिकताएँ सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि “विकास के मॉडल” में परिवर्तन हैं। तेजस्वी यादव का कहना है कि बिहार की जनता अब केवल वादों से नहीं, ठोस परिणामों से फर्क महसूस करना चाहती है — और यही उनकी राजनीति का केंद्र है।
तेजस्वी ने कहा कि बिहार ने पिछले दशकों में अपनी क्षमता प्रदर्शित की है लेकिन राज्य को अभी भी शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और रोजगार के क्षेत्र में मजबूत सुधारों की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं में “नौकरी” की समस्या चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा है और यदि महागठबंधन की सरकार बनती है तो बिहार के युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित किए जाएंगे, ताकि राज्य से बाहर पलायन कम हो सके।
महागठबंधन के रणनीतिकार भी मानते हैं कि तेजस्वी जिस “तमाशा-राजनीति” से दूरी बना रहे हैं और “डिलीवरी-बेस्ड” राजनीति की बात कर रहे हैं, वही इस चुनाव में उनका सबसे बड़ा हथियार भी है। वे इस बात पर बल दे रहे हैं कि बिहार केवल चुनावी रैलियों, नारे और आरोप-प्रत्यारोप से आगे बढ़कर अब परिणाम-आधारित प्रशासन की ओर जाना चाहता है।
तेजस्वी का यह वादा, “नंबर वन राज्य”, महज एक चुनावी स्लोगन नहीं बल्कि एक बड़े विज़न की तस्वीर के रूप में देखा जा रहा है — और अब फैसला जनता के हाथ में है कि वह किस दिशा को अपना भविष्य चुनती है।
@MUSKAN KUMARI





