बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना अब विवादों में आ गई है। दरभंगा जिले के जाले विधानसभा क्षेत्र में तकनीकी खामी के कारण इस योजना की 10-10 हजार रुपये की सहायता राशि चार दिव्यांग पुरुषों के बैंक खातों में ट्रांसफर हो गई, जिसे उन्होंने सरकारी मदद समझकर खर्च कर दिया। अब चुनाव खत्म होने और सरकार बनने के बाद स्थानीय प्रशासन ने इन चारों दिव्यांगों को नोटिस जारी कर राशि वापस करने का निर्देश दिया है, जिससे उनके परिवारों में भारी नाराजगी और चिंता है।

जिन लोगों को नोटिस मिला है, उनमें हियारी पंचायत के नागेंद्र राम, बलराम सहनी, रामसागर यादव और बहलपुर गांव के फकन पासवान शामिल हैं। ये सभी महादलित समुदाय से आते हैं, दिव्यांग हैं और अत्यंत गरीब हालात में जीवन यापन कर रहे हैं। इन परिवारों के पास न तो अपनी जमीन है और न ही स्थायी रोजगार। सरकार की जमीन पर बने अधूरे घरों या झोपड़ियों में रहने वाले इन लोगों ने बताया कि दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ के दौरान खाते में आए पैसों को उन्होंने सरकारी सहायता मानकर रोजमर्रा की जरूरतों, त्योहार, बच्चों के कपड़े और पशुपालन में खर्च कर दिया।

बलराम सहनी ने कहा कि उन्होंने किसी योजना के लिए आवेदन नहीं किया था, पैसा अपने आप खाते में आया, इसलिए लगा कि सरकार ने त्योहारों में मदद दी है। तीन महीने बाद डाक से नोटिस आया कि राशि वापस करें, जिससे वे मानसिक और आर्थिक संकट में फंस गए हैं। उनका कहना है कि यदि सरकार पैसा वापस चाहती है तो वे कर्ज लेकर भी लौटा देंगे, लेकिन जिस भरोसे पर उन्होंने सरकार और एनडीए उम्मीदवार को वोट दिया था, वह भरोसा भी सरकार को लौटाना चाहिए।

इसी तरह नागेंद्र राम और उनके परिवार ने बताया कि वे दिव्यांग पेंशन लेने बैंक गए थे, तभी खाते में 10 हजार रुपये जमा दिखे। त्योहार का समय होने के कारण पूरा पैसा खर्च हो गया। अब नोटिस मिलने के बाद प्रशासन की ओर से दबाव बनाया जा रहा है, यहां तक कि क्रेडिट खराब होने और लोन न मिलने की चेतावनी भी दी जा रही है। परिवारों का कहना है कि यदि शुरुआत में ही बताया जाता कि राशि गलती से आई है, तो वे पैसा छूते भी नहीं।
गांव के लोगों का कहना है कि चुनाव से पहले सरकार द्वारा खातों में पैसे भेजे गए, जिससे भरोसा बना और उन्होंने सत्ताधारी दल को वोट दिया। अब चुनाव के बाद गरीब, दिव्यांग और महादलित परिवारों से राशि की वसूली करना अन्याय है। लोगों ने राज्य सरकार से मांग की है कि तकनीकी गलती से भेजी गई इस राशि को माफ किया जाए, ताकि पहले से संकट झेल रहे परिवारों पर और बोझ न पड़े।
इस पूरे मामले पर जीविका जाले प्रखंड के बीपीएम देवदत्त झा ने बताया कि यह एक तकनीकी और कैल्कुलेशन की गलती थी, जिसके कारण महिला रोजगार योजना की राशि कुछ दिव्यांग पुरुषों के खातों में चली गई। चूंकि योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार यह राशि केवल महिला लाभार्थियों के लिए थी, इसलिए विभाग द्वारा राशि वापसी की प्रक्रिया शुरू की गई है। वहीं, जीविका जिला संचार प्रबंधक ने स्पष्ट किया कि लिस्ट मिलान में हुई गलती के चलते यह स्थिति बनी और नियमों के तहत सुधार किया जा रहा है।
@Tanya Singh
Author: BiharlocalDesk
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