“एसआईएसआर जांच पर सवाल, पप्पू यादव का आरोप – ‘दाल में काला ही नहीं, पूरी दाल ही काली है’”

एशियन टाइम्स विशेष रिपोर्ट

 

नई दिल्ली/पटना ब्यूरो रिपोर्ट

पटना से पूर्व सांसद और जन अधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव ने बिहार में मतदाता सूची की समीक्षा को लेकर गहरी आपत्ति जताते हुए चुनाव आयोग और एसआईएसआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बड़ा आरोप लगाया।

क्या है मामला?

पप्पू यादव ने दावा किया कि बिहार में 22 लाख मतदाताओं के नाम अचानक वोटर लिस्ट से गायब हैं। उनका कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से नाम हटाना एक सुनियोजित साजिश हो सकती है।

उन्होंने कहा –

“दाल में कुछ काला नहीं, पूरी दाल ही काली है। यह लोकतंत्र को कमजोर करने का षड्यंत्र है।”

उन्होंने सवाल उठाया कि जब तक इन 22 लाख मतदाताओं से संपर्क नहीं किया गया और बिना सहमति के फॉर्म नहीं भरे गए, तो उन्हें सूची से क्यों हटाया गया?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की मांग

पप्पू यादव ने बताया कि 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी है। उन्होंने 92% मतदाताओं के फॉर्म और उनकी सहमति से जुड़ी प्रक्रिया की जांच की मांग की है।

बीजेपी पर आरोप

पप्पू यादव ने सीधे बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा –

“एसआईएसआर भाजपा के इशारे पर चल रहा है। इसमें उनके अपने एजेंट शामिल हैं।”

उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक ऑपरेशन है, जो आगामी चुनावों में वोटिंग को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है।

विपक्ष से एकजुटता की अपील

उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पूरे विपक्ष से मांग की कि वे इस मुद्दे पर एक साथ आएं।

“अगर यह जांच नहीं हुई, तो लोकतंत्र की जड़ें हिल जाएंगी।”

तेजप्रताप पर तंज

जब उनसे तेज प्रताप यादव द्वारा उम्मीदवार बनने की बात पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा:

“मैं न तो तेज प्रताप का प्रवक्ता हूं और न ही किसी भी तरह से उनके जुड़ा हूं। वे लालू यादव के बेटे जरूर हैं, लेकिन जनता उन्हें कितना वोट देगी, यह देखना बाकी है।”

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि –

“इस बार गरीबों, पिछड़ों, दलितों और अति-पिछड़ों को सिर्फ मनोवैज्ञानिक हथियार बना दिया गया है, असली मुद्दों से ध्यान हटाया जा रहा है।”

पप्पू यादव का यह बयान आने वाले चुनावों से पहले बिहार की सियासत में बड़ा उबाल ला सकता है। 22 लाख वोटरों का मामला अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज़ पर है। अगर जांच होती है और आरोप सही साबित होते हैं, तो यह चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करेगा।

 

Bihar Desk
Author: Bihar Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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