भारत में कई नाग मंदिर हैं, जिनके बारे में अलग-अलग पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसा ही एक प्रसिद्ध नाग मंदिर केरल में भी है। इस मंदिर का नाम मन्नारसाला मंदिर है। यह मंदिर नागों के राजा भगवान नागराज और उनकी पत्नी नागयक्षी को समर्पित है। मंदिर के भीतर सांपों की 30 हजार से ज्यादा प्रतिमाएं हैं। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यह 3 हजार साल पुराना है। इस मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मन्नारसाला मंदिर करीब 16 एकड़ में फैला हुआ है। मंदिर के हर कोने में सांपों की प्रतिमाएं हैं। जिनकी संख्या 30 हजार से अधिक बताई जाती है। इस सर्प मंदिर के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से सैलानी आते हैं। यह नाग मंदिर अलेप्पी से 37 किलोमीटर दूर है। मंदिर घने जंगलों से घिरा हुआ है।
इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि यहां तक्षक और कर्कोटक नाग ने भगवान शिव की तपस्या की थी। नागों की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिये और उनकी मनोकामना पूरी हुई। इस मंदिर के पास ही राहू का भी स्थान है, जिसे सर्पों का देवता माना जाता है।
मंदिर से जुड़ी किंवदंतियों के मुताबिक, महाभारत काल में खंडावा नामक एक वन प्रदेश था जो जला दिया गया था। पर इसका एक हिस्सा बच गया था। ऐसा कहा जाता है कि बचे हुए हिस्से में वन के सभी सर्पों ने शरल ली थी। यह जगह ही मन्नारसाला है। इस मंदिर को लेकर लोक मान्यता है कि यहां नागराज के दर्शन करने से निसंतान दंपतियों को संतान सुख मिलता है। इस मंदिर को लेकर यह भी कहा जाता है कि यहां परशुराम भी गये थे। यहां भगवान नागराज को प्रसन्न करने के लिये कई अनुष्ठान किये जाते हैं