नई दिल्ली | विशेष संवाददाता
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक Mohan Bhagwat ने एक बार फिर अपने बयानों से सियासी और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज कर दी है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि RSS को BJP के नजरिये से देखना एक बड़ी भूल है, क्योंकि संघ कोई राजनीतिक संगठन नहीं है और न ही उसका कोई चुनावी एजेंडा है।
मोहन भागवत ने कहा कि RSS एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है, जिसका उद्देश्य समाज को जोड़ना, सेवा और राष्ट्र निर्माण की भावना को मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल अपनी विचारधारा और कार्यक्रमों के अनुसार काम करते हैं, लेकिन संघ का दायरा इससे कहीं व्यापक है।
परिवार और सामाजिक मूल्यों पर जोर
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने परिवार व्यवस्था को समाज की रीढ़ बताते हुए कहा कि आज के समय में रिश्तों में जिम्मेदारी की भावना कमजोर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप जैसे चलन समाज में अस्थिरता पैदा कर रहे हैं, क्योंकि इनमें दीर्घकालिक जिम्मेदारी का अभाव होता है। भागवत ने विवाह और परिवार को सामाजिक संतुलन के लिए आवश्यक बताया।
मुस्लिम समाज और एकता पर संदेश
RSS प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि RSS किसी भी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ का दरवाजा सभी के लिए खुला है और समाज में आपसी समझ व संवाद से ही देश आगे बढ़ सकता है। उन्होंने सांस्कृतिक एकता पर बल देते हुए कहा कि भारत की विविधता ही उसकी ताकत है।
पड़ोसी देशों में हिंदुओं की स्थिति पर चिंता
मोहन भागवत ने बांग्लादेश समेत पड़ोसी देशों में हिंदुओं पर हो रहे कथित अत्याचारों का मुद्दा उठाते हुए समाज से सजग और एकजुट रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर आवाज उठाई जानी चाहिए।
राजनीतिक मायने
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मोहन भागवत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब RSS और BJP के संबंधों को लेकर लगातार बहस होती रहती है। उनके बयान को संघ की स्वतंत्र पहचान को स्पष्ट करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।मोहन भागवत के ताजा बयान ने एक बार फिर यह साफ किया है कि RSS खुद को राजनीति से ऊपर एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन मानता है, साथ ही वह परिवार, सामाजिक जिम्मेदारी और राष्ट्रीय एकता जैसे मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखता है।
एशियन टाइम्स के लिए विशेष रिपोर्ट
Author: Noida Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)





