नई दिल्ली | 28 जुलाई 2025
उत्तर प्रदेश सरकार के नए अधिनियम ‘श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अधिनियम, 2025’ को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने इस क़ानून को मंदिर की पारंपरिक और निजी धार्मिक व्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप करार दिया है।
मथुरा के प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर से जुड़ी इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ (न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला) ने कहा कि यह मामला अब मुख्य न्यायाधीश (CJI) को भेजा जाएगा, जो यह तय करेंगे कि किस पीठ में इसकी सुनवाई होगी।
याचिका में दावा किया गया है कि यह मंदिर कोई राज्य की संपत्ति नहीं, बल्कि स्वामी हरिदास के वंशजों द्वारा संचालित निजी धार्मिक संस्था है। यह व्यवस्था 1939 से चल रही है, जिसमें लगभग 360 सेवायतों की भूमिका है।
सरकार का पक्ष है कि इस अधिनियम के ज़रिए मंदिर का प्रशासनिक नियंत्रण एक नवगठित ट्रस्ट को सौंपा जाएगा। लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता और परंपरा का उल्लंघन होता है।
अब इस संवेदनशील मामले की सुनवाई के लिए विशेष पीठ का गठन मुख्य न्यायाधीश द्वारा किया जाएगा।
मामला धार्मिक परंपरा बनाम सरकारी नियंत्रण का बन चुका है — आगे की सुनवाई महत्वपूर्ण हो सकती है।

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)