नीतीश कुमार, लालू यादव और तेजस्वी यादव की राजनीति पर चर्चा: क्या नीतीश फिर बदलेंगे पाला?

66
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने नए साल के पहले दिन एक निजी चैनल से बातचीत में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन में शामिल होने का ऑफर दिया। लालू ने कहा, "नीतीश कुमार के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं। अगर वो साथ आना चाहें तो हम उनका स्वागत करेंगे। उन्होंने अतीत में कई बार महागठबंधन से दूरी बनाई, लेकिन हम उन्हें माफ करने को तैयार हैं।"

नीतीश कुमार, लालू यादव और तेजस्वी यादव की राजनीति पर चर्चा: क्या नीतीश फिर बदलेंगे पाला?

लालू यादव का महागठबंधन में शामिल होने का ऑफर

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने नए साल के पहले दिन एक निजी चैनल से बातचीत में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन में शामिल होने का ऑफर दिया। लालू ने कहा, “नीतीश कुमार के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं। अगर वो साथ आना चाहें तो हम उनका स्वागत करेंगे। उन्होंने अतीत में कई बार महागठबंधन से दूरी बनाई, लेकिन हम उन्हें माफ करने को तैयार हैं।”

लालू यादव के इस बयान ने बिहार की राजनीतिक सरगर्मी को बढ़ा दिया है। महागठबंधन, जिसमें राजद, कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं, ने 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ कड़ी टक्कर दी थी। नीतीश कुमार का महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ जाना उस समय एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम था।

तेजस्वी यादव का लालू यादव के बयान पर जवाब

लालू यादव के बयान पर उनके बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मीडिया से कहा, “राजद सुप्रीमो ने मीडिया के सवालों को टालने के लिए ऐसा कहा था। मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि नीतीश कुमार के लिए हमारे दरवाजे बंद हैं।” तेजस्वी का यह बयान यह दर्शाता है कि पार्टी के भीतर नीतीश के प्रति पुरानी नाराज़गी अभी भी बरकरार है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया

जब गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लालू यादव के ऑफर के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सवाल का जवाब देने से बचते हुए हाथ जोड़ लिए। यह घटना उस समय हुई जब राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान एक कार्यक्रम में मौजूद थे। राज्यपाल ने भी राजनीतिक सवालों पर टिप्पणी करने से इनकार किया और कहा, “आज शपथ ग्रहण का दिन है। ऐसी बातों पर चर्चा नहीं करनी चाहिए।”

नीतीश कुमार और भाजपा: बार-बार बदलते समीकरण

नीतीश कुमार का भारतीय राजनीति में एक ऐसा व्यक्तित्व है, जो अपने गठबंधन बदलने के लिए मशहूर हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख के रूप में शुरू की और 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने।

1. 2005-2013: नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ गठबंधन कर बिहार में शासन किया। इस दौरान उन्होंने बिहार की कानून-व्यवस्था और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए काम किया।

2. 2013: नरेंद्र मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने के बाद नीतीश ने भाजपा से नाता तोड़ लिया।

3. 2015: नीतीश ने राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर भाजपा को हराया।

4. 2017: महागठबंधन से अलग होकर नीतीश ने दोबारा भाजपा का हाथ थाम लिया और बिहार में एनडीए की सरकार बनाई।

5. 2022: नीतीश ने भाजपा से फिर दूरी बना ली और महागठबंधन में वापस लौट आए।

यह बार-बार गठबंधन बदलना नीतीश कुमार की “पाला बदलने” की राजनीति को दर्शाता है। इससे उनकी छवि एक ऐसे नेता की बनती है जो सत्ता बनाए रखने के लिए अपने सहयोगी दलों को बदलने में संकोच नहीं करते।

लालू और नीतीश का रिश्ता

1975 के आपातकाल के समय से लालू यादव और नीतीश कुमार के बीच गहरी दोस्ती थी। दोनों ने साथ में राजनीति की शुरुआत की। हालांकि, समय के साथ उनके रास्ते अलग हो गए। नीतीश ने जहां अपनी छवि “सुशासन बाबू” की बनाई, वहीं लालू यादव अपने जातीय समीकरणों और सामाजिक न्याय के एजेंडे के लिए जाने जाते हैं।

बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति

2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बिहार की राजनीति में बदलाव की संभावनाओं पर चर्चा तेज हो गई है। महागठबंधन और भाजपा के बीच का मुकाबला राज्य की राजनीति को तय करेगा। नीतीश कुमार की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हैं, क्योंकि वह अक्सर अप्रत्याशित फैसले लेते हैं।

क्या नीतीश महागठबंधन में लौटेंगे?

लालू यादव का ऑफर और तेजस्वी यादव का बयान यह दर्शाता है कि महागठबंधन के भीतर भी नीतीश को लेकर सहमति नहीं है। अगर नीतीश कुमार महागठबंधन में लौटने का फैसला करते हैं, तो यह बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव होगा। हालांकि, यह कदम उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर सकता है।

@tanvir

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here