आज शोले के गब्बर यानी अमजद खान की 30वीं डेथ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 12 नवंबर 1940 को मुंबई में पश्तूनी मुस्लिम फैमिली में हुआ था और आज भी लोग उन्हें गब्बर का नाम से ही जानते हैं। कितने आदमी थे,तेरा क्या होगा कालिया,सो जा बेटा नहीं तो गब्बर आ जाएगा, ‘शोले’ फिल्म के ये डायलाग आज भी उतने ही प्रचलित हैं, जितने ये फिल्म के रिलीज़ के समय थे वहीं गब्बर का रोल निभाने वाले अमजद खान भी इस रोल के बाद अमर हो गए हैं। 27 जुलाई 1992 को हार्टअटैक की वजह से उनका देहांत हो गया था. ऐसे में आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें
अमजद खान का जन्म 12 नवंबर 1940 को बॉम्बे में हुआ था, उनके पिता जकारिया खान बॉलीवुड के एक जाने-माने एक्टर थे, जिन्हें पर्दे पर जयंत नाम से जाना जाता था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट साल 1951 में फिल्म नाजनीन से की थी।
अमजद ने अपने करियर में लगभग 132 फिल्मों में काम किया है। वैसे तो अमजद जिस भी रोल में होते उसमें खुद को ढाल लेते थे लेकिन शोले के गब्बर सिंह और मुकद्दर का सिकंदर में दिलावर का रोल उन्होंने ऐसा किया कि इतिहास में नाम दर्ज करवा लिया।
अमजद की जिंदगी का बुरा दौर तब आया जब उनका बेहद खतरनाक एक्सीडेंस हो गया। अमजद फिल्म द ग्रेट गैंबलर की शूटिंग के लिए गोवा जा रहे थे लेकिन उनकी फ्लाइट मिस हो गई जिसके चलते उन्होंने कार से जाने का फैसला किया। जब वो कार से जा रहे थे तो एक ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी। ये टक्कर इतनी खतरनाक थी कि इस हादसे में अमजद के शरीर की हड्डियां तक टूट गईं। इलाज के दौरान अमजद कोमा में चले गए। फिर जब वो ठीक हुए तो उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा। कुछ दिन बाद अमजद का वजन तेजी से बढ़ने लगा। फिर एक दिन दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई. उस वक्त अमजद महज 47 साल के थे।