कुवैत में भारतीयों की भूमिका
कुवैत भारत के लिए एक महत्वपूर्ण देश है, जहां लगभग 10 लाख भारतीय रहते हैं। इनमें से अधिकांश लोग मजदूरी, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य क्षेत्रों में काम करते हैं। कुवैत में रहने वाले भारतीय न केवल अपनी आजीविका चलाते हैं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देते हैं। भारतीय दूतावास के अनुसार, यहां के 21% लोग भारतीय हैं, और कुवैत की कुल वर्कफोर्स का 30% हिस्सा भारतीयों का है।
भारतीय समुदाय की कमाई कुवैत में औसत सैलरी: 300 से 1,260 कुवैती दिनार (लगभग ₹82,500 से ₹3,47,588)।
न्यूनतम वेतन: 320 कुवैती दिनार (लगभग ₹88,276)।
कुवैती दिनार की कीमत भारतीय रुपयों में: ₹275।
अगर भारतीय विदेशों में काम न करें तो भारत की GDP पर प्रभाव
1. रेमिटेंस (विदेश से धन भेजना): भारतीय प्रवासी हर साल लगभग $100 बिलियन की रेमिटेंस भारत भेजते हैं, जिसमें खाड़ी देशों का बड़ा हिस्सा है। अगर भारतीय विदेशों में काम करना बंद कर दें, तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार और GDP पर बड़ा असर पड़ेगा।
2. रोज़गार का दबाव:
विदेशों में काम कर रहे भारतीय अगर वापस लौटते हैं, तो भारत में रोज़गार की कमी हो सकती है। इससे बेरोज़गारी दर बढ़ सकती है।
3. घरेलू खर्चों पर असर: भारतीय परिवार, जो विदेश से मिलने वाली कमाई पर निर्भर हैं, उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है।
4. विकासशील क्षेत्रों पर असर: विदेश से आने वाला पैसा भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा, और छोटे व्यवसायों में निवेश होता है। इसकी कमी से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के विकास पर असर पड़ेगा।
कौन-कौन से देश भारत को सबसे अधिक पैसा भेजते हैं?
1. UAE (संयुक्त अरब अमीरात): लगभग $20 बिलियन।
2. सऊदी अरब: लगभग $12 बिलियन।
3. कुवैत: लगभग $6 बिलियन।
4. ओमान, कतर, बहरीन और अन्य खाड़ी देश।
@tanvir