अबू सलेम की रिहाई पर सवाल: 25 साल की सजा का गणित
नई दिल्ली (एजेंसी) — गैंगस्टर अबू सलेम, जिसे 2005 में पुर्तगाल से भारत प्रत्यर्पित किया गया था, की रिहाई को लेकर कानूनी बहस तेज हो गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने साफ किया है कि प्रत्यर्पण की शर्तों के मुताबिक उसे 25 साल से अधिक जेल में नहीं रखा जा सकता, यानी 2030 से पहले उसे रिहा किया जा सकता है।
पुर्तगाल सरकार ने 1993 के मुंबई ब्लास्ट और बिल्डर प्रमोद जैन की हत्या के मामले में सलेम को प्रत्यर्पित करने की अनुमति दी थी, बशर्ते उसे मौत की सजा या 25 साल से अधिक की सजा न दी जाए। 2005 से भारत में बंद सलेम को 2015 और 2017 में क्रमशः प्रमोद जैन मर्डर केस और 1993 ब्लास्ट केस में सजा सुनाई गई।
सलेम का कहना है कि वह 25 साल से पहले ही रिहाई का हकदार है क्योंकि 2002 में पुर्तगाल में गिरफ्तारी से लेकर अब तक वह जेल में है। वह सितंबर 2027 में 25 साल पूरे होने का दावा कर रहा है, जबकि सरकार और अदालतें इस दावे पर अभी विचार कर रही हैं।
कानूनी गणना के अनुसार, 31 मार्च 2025 को भी सलेम को रिहा किया जा सकता है अगर अदालत उसके प्रत्यर्पण समझौते की शर्तों को मान ले। हालांकि, अभियोजन पक्ष का कहना है कि अपराध की गंभीरता और पीड़ितों के न्याय को देखते हुए रिहाई की समयसीमा पर पुनर्विचार जरूरी है।

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)