एशियन टाइम्स स्पेशल रिपोर्ट
वोटर लिस्ट में दोहरा खेल: डिप्टी CM के नाम पर दो EPIC नंबर, पत्रकार का नाम गायब — क्या चुनाव व्यवस्था पर भरोसा खतरे में?
लोकतंत्र की जड़ में वोट का अधिकार
भारत का लोकतंत्र अपने नागरिकों को मतदान का मौलिक अधिकार देता है। वोट केवल एक पर्ची नहीं, बल्कि हर नागरिक की बराबरी और भागीदारी का प्रतीक है। लेकिन जब वोटर लिस्ट की पवित्रता पर सवाल उठते हैं, तो यह सीधे लोकतंत्र के दिल पर चोट करता है। हाल ही में सामने आए दो मामलों ने बिहार की राजनीति और चुनावी व्यवस्था को हिला दिया है—
बिहार के डिप्टी मुख्यमंत्री विजय सिन्हा के नाम पर दो EPIC नंबर दर्ज होना।
पटना वार्ड 22B में एक पत्रकार का नाम वोटर लिस्ट से गायब हो जाना, जबकि पहले वह वोट डाल चुका था।
डिप्टी CM विजय सिन्हा के नाम पर दो EPIC नंबर
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि डिप्टी CM विजय सिन्हा के नाम पर दो EPIC (Electors Photo Identity Card) नंबर मौजूद हैं। यह नंबर दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों—लखीसराय और पटना के बांकीपुर—में दर्ज हैं।
दैनिक भास्कर की पड़ताल में ECI की वेबसाइट पर इन दोनों EPIC नंबर की जांच की गई। नतीजा चौंकाने वाला था—दोनों में नाम और उम्र समान, लेकिन एक में पिता का नाम “स्व. शारदा रमन सिंह” लिखा था।
2020 का एफिडेविट बनाम वोटर ID
2020 में चुनावी एफिडेविट में विजय सिन्हा ने अपनी उम्र 54 वर्ष और पता “पुष्प बिहार अपार्टमेंट, एग्जीबिशन रोड, पटना” बताया था। लेकिन यह पता किसी भी वोटर आईडी कार्ड पर नहीं है। सवाल यह उठता है कि क्या दो अलग EPIC नंबर और दो विधानसभा क्षेत्रों में नाम दर्ज होना Representation of the People Act, 1950 के सेक्शन 17 का उल्लंघन है?
धारा 17 कहती है — “कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में नाम दर्ज नहीं करा सकता।”
तेजस्वी यादव के आरोप
प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने दोनों EPIC नंबर ECI की वेबसाइट पर दिखाते हुए कहा—
“विजय कुमार सिन्हा का दो EPIC नंबर है। वो भी दो विधानसभा क्षेत्रों में, जिनमें उम्र भी अलग-अलग है।”
इस दौरान बिजली कटने पर उन्होंने तंज किया—”यही वही मुख्यमंत्री जी हैं, जिनके लिए बिजली फ्री है क्या?”
पत्रकार का नाम वोटर लिस्ट से गायब
ताजा मामला — वार्ड 22B, पटना
वार्ड 22B के एक पत्रकार का नाम लोकसभा चुनाव में वोट डालने के बावजूद विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची से हटा दिया गया। पत्रकार का कहना है कि उसने BLO (Booth Level Officer) को अपने सभी जरूरी दस्तावेज दिए थे, लेकिन नाम फिर भी हटा दिया गया।
वोटर नाम हटाने की प्रक्रिया
Election Commission of India के नियम के अनुसार, किसी भी नाम को हटाने के लिए फॉर्म-7 भरना जरूरी होता है, जिसे संबंधित व्यक्ति या अधिकृत अधिकारी जमा करता है। बिना वैध कारण और नोटिस के नाम हटाना Representation of the People Act, 1950 की धारा 22 और 23 का उल्लंघन हो सकता है।
पत्रकार का बयान
पत्रकार का आरोप है:
“जब डिप्टी CM का नाम दो जगह दर्ज रह सकता है, तो आम आदमी का नाम एक जगह से क्यों हटाया जाता है? क्या यह मतदाता अधिकारों के साथ दोहरा मापदंड नहीं?”
भाग-3: चुनाव आयोग की प्रक्रिया और कानूनी प्रावधान
दो EPIC नंबर पर कार्रवाई
ECI के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, यदि किसी के नाम पर दो EPIC नंबर हैं, तो एक को निष्क्रिय (Deactivate) करना होता है।
यह प्रक्रिया Form-8 और डेटा वेरिफिकेशन के जरिए होती है।
जानबूझकर दोहरी पंजीकरण करवाना धारा 31 के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें जुर्माना और सजा दोनों हो सकती है।
नाम हटाने की प्रक्रिया
नाम हटाने के लिए वैध कारण आवश्यक है (मृत्यु, पते में बदलाव, दोहरा पंजीकरण)।
बिना नोटिस के नाम हटाना मतदाता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
RJD — “ये लोकतंत्र की हत्या है। एक ओर VIP नेताओं के नाम दो जगह दर्ज हैं, दूसरी ओर जनता का नाम काटा जा रहा है।”
JDU-BJP — “ये तकनीकी गलती हो सकती है, लेकिन इसका राजनीतिकरण किया जा रहा है।”
आम जनता पर असर
इन दोनों मामलों से एक बड़ा सवाल उठता है—क्या ECI की मतदाता सूची पूरी तरह विश्वसनीय है?
विश्वास की कमी — जब नेता और आम नागरिक दोनों को अलग-अलग तरह की समस्याएं होती हैं, तो जनता का भरोसा डगमगाता है।
मतदाता दमन का खतरा — गलत तरीके से नाम हटाने से मतदान प्रतिशत प्रभावित होता है।
लोकतंत्र पर असर
दो EPIC नंबर वाले नेताओं और नाम कटने वाले आम नागरिकों के मामलों में सबसे बड़ा नुकसान लोकतांत्रिक मूल्यों को होता है। चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता की गारंटी तभी संभव है जब मतदाता सूची पूरी तरह सही हो।
समाधान और सुझाव
1. सेंट्रलाइज्ड EPIC वेरिफिकेशन सिस्टम — ताकि एक व्यक्ति का नाम एक से अधिक जगह दर्ज न हो।
2. BLO की जवाबदेही — नाम हटाने या दर्ज करने की हर कार्रवाई पर लिखित नोटिस जरूरी।
3. ऑनलाइन पारदर्शिता पोर्टल — जिससे कोई भी नागरिक अपनी वोटर जानकारी तुरंत जांच सके।
4. कड़ी कानूनी कार्रवाई — दोहरा पंजीकरण या गलत नाम हटाने पर सख्त सजा।
डिप्टी CM विजय सिन्हा के दो EPIC नंबर और वार्ड 22B में पत्रकार का नाम कटना, दोनों ही घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि मतदाता सूची प्रबंधन में गंभीर खामियां हैं। जब लोकतंत्र का आधार—मतदान—ही संदिग्ध हो जाए, तो पूरी व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। चुनाव आयोग को तुरंत तकनीकी और प्रशासनिक सुधार करने होंगे, वरना जनता का भरोसा टूटना तय है।

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)