बिहार में वोटर लिस्ट अपडेट के बाद बढ़ी “वोट चोरी” की आशंका

बिहार में वोटर लिस्ट अपडेट के बाद बढ़ी “वोट चोरी” की आशंका

बिहार में चुनाव आयोग द्वारा हाल ही में जारी की गई फाइनल वोटर लिस्ट ने एक बार फिर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस लिस्ट के आने के बाद सबसे बड़ी चर्चा “वोट चोरी” के मुद्दे को लेकर है। विपक्षी दलों से लेकर आम मतदाता तक यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या 2025 के विधानसभा चुनाव में वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के चलते धांधली और फर्जी मतदान के मामले सामने आ सकते हैं?

69 लाख नाम हटे, 21.53 लाख नए जुड़े

चुनाव आयोग ने जून 2025 से विशेष पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू की थी। इस दौरान 7.89 करोड़ मतदाताओं से पुनः सत्यापन फॉर्म भरवाए गए। ड्राफ्ट लिस्ट में 65 लाख नाम हटाए गए थे, लेकिन फाइनल लिस्ट में यह संख्या 69 लाख हो गई। वहीं 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए। दिलचस्प यह है कि ड्राफ्ट में हटाए गए 65 लाख नामों में से 17 लाख नाम फिर से शामिल कर दिए गए।

यानी यह स्पष्ट है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर जोड़-घटाव हुआ है। यही तथ्य आने वाले चुनाव में गड़बड़ी और “वोट चोरी” की संभावना को और बढ़ा देता है।

पटना जिले में सबसे बड़ा बदलाव

फाइनल लिस्ट में पटना जिले के मतदाता सबसे ज्यादा बढ़े हैं। पहले यहां 46 लाख 51 हजार 694 मतदाता थे, जो अब बढ़कर 48 लाख 15 हजार 694 हो गए हैं। यानी सिर्फ एक जिले में 1 लाख 63 हजार 600 नए मतदाता जुड़े। यह सवाल उठना लाजिमी है कि इतनी बड़ी संख्या में नए मतदाता अचानक कहां से आए? क्या ये सभी वास्तविक मतदाता हैं या इनमें डुप्लीकेट और फर्जी नाम भी शामिल हैं?

वोट चोरी की संभावनाएं

बिहार की राजनीति में वोट चोरी कोई नया मुद्दा नहीं है। पहले भी चुनावों के दौरान “बूथ कैप्चरिंग” और “फर्जी मतदान” की घटनाएं होती रही हैं। इस बार चिंता इसलिए और गहरी है क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटाने और जोड़ने से साफ पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

डुप्लीकेट आईडी का खेल: कई मतदाता जिनके नाम पहले हटाए गए थे, वे फिर से जोड़ दिए गए हैं। इससे डुप्लीकेट वोटिंग की संभावना बढ़ सकती है।

मृतकों के नाम पर वोटिंग: रिपोर्ट्स के मुताबिक कई मृत व्यक्तियों के नाम पहले सूची में थे। भले ही उन्हें हटाया गया हो, लेकिन यदि कुछ नाम रह गए तो उनका दुरुपयोग हो सकता है।

बाहरी वोटर्स का शामिल होना: नए जोड़े गए लाखों नामों में असली और नकली का फर्क करना मुश्किल होगा। यदि इसमें बाहरी लोग शामिल हुए तो चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकता है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों का कहना है कि यह पूरा अपडेट “चुनावी इंजीनियरिंग” का हिस्सा है। उनका आरोप है कि सत्ताधारी दल ने आयोग पर दबाव बनाकर अपने पक्ष में वोटर्स की संख्या बढ़वाई है। दूसरी ओर, सत्ताधारी दल का दावा है कि यह सिर्फ “डेटा क्लीनिंग” की प्रक्रिया है ताकि वास्तविक मतदाताओं को ही शामिल किया जा सके।

फाइनल वोटर लिस्ट के बाद भले ही आयोग ने दावा किया हो कि अब बिहार में चुनाव ज्यादा पारदर्शी होंगे, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। 69 लाख नाम हटाना और 21.53 लाख जोड़ना कोई छोटी बात नहीं है। यह स्थिति साफ इशारा करती है कि आने वाले चुनाव में “वोट चोरी” का मुद्दा बड़ा राजनीतिक हथियार बनने वाला है।

अगर आयोग समय रहते मतदाता सूची की दोबारा निष्पक्ष जांच नहीं कराता, तो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में वोट चोरी और धांधली की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

 

Bihar Desk
Author: Bihar Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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