कभी गाँव का मतलब होता था मिट्टी का घर, लालटेन की रोशनी और शहर पर निर्भर ज़िंदगी। लेकिन आज भारत बदल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुई डिजिटल इंडिया मुहिम ने गाँवों तक भी विकास की रोशनी पहुँचा दी है।
आज देश के 6 लाख से अधिक गाँवों में से ज़्यादातर को ब्रॉडबैंड से जोड़ा जा चुका है। भारतनेट प्रोजेक्ट के तहत अब तक 1.9 लाख से ज़्यादा ग्राम पंचायतों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुँचा है। गाँव के नौजवान अब ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, किसान मोबाइल से मंडी भाव देख रहे हैं और महिलाएँ डिजिटल पेमेंट से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
मोदी सरकार की कोशिशों से आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट यूज़र देश बन चुका है, जहाँ 85 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा गाँवों के युवाओं का है।
युवाओं ने ही “डिजिटल इंडिया” को सफल बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाई है। आज गाँव के युवा सिर्फ मोबाइल यूज़ नहीं कर रहे, बल्कि ऐप डेवलपर, ऑनलाइन उद्यमी और डिजिटल वॉलंटियर बनकर समाज को बदल रहे हैं। स्टार्टअप इंडिया और स्किल इंडिया जैसी योजनाओं ने इस सपने को और मजबूती दी है।
डिजिटल इंडिया ने न सिर्फ़ सुविधाएँ आसान की हैं बल्कि दिलों को भी जोड़ा है। अब गाँव का बच्चा शहर के बच्चे की तरह ऑनलाइन क्लास कर सकता है। गाँव की बेटी घर बैठे उद्यमी बन सकती है। यह सिर्फ़ टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि बराबरी और आत्मसम्मान की क्रांति है।
युवा इस ताक़त का इस्तेमाल और बेहतर कर सकते हैं—जैसे ऑनलाइन शिक्षा, खेती में नई तकनीक सीखने, सरकारी योजनाओं की जानकारी लेने, हेल्थ सेवाओं तक पहुँचने और छोटे-बड़े कारोबार शुरू करने में। लेकिन साथ ही यह ज़रूरी है कि इस ताक़त का दुरुपयोग न हो। फेक न्यूज़, समय की बर्बादी करने वाले वीडियो और सोशल मीडिया की नशे जैसी आदत से बचकर ही युवा अपनी ऊर्जा को सही दिशा दे सकते हैं।
मोदी जी का विज़न साफ़ है—“गाँव-गाँव डिजिटल, घर-घर विकास।” और सच यही है कि जब गाँव आगे बढ़ेगा, तभी असली भारत आगे बढ़ेगा।
डिजिटल इंडिया सिर्फ़ एक योजना नहीं, बल्कि नए भारत की आत्मा है, जिसे गाँव का हर युवा अपने सपनों, मेहनत और समझदारी से साकार कर रहा है।
स्लोगन:
“डिजिटल गाँव, मज़बूत भारत।”
@ एम एच के

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)