कांग्रेस(Congress) में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अब पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने पार्टी की स्थिति पर अपनी निराशा जताई है. उन्होंने कहा है कि पार्टी फोरम में ‘सार्थक बातचीत’ शुरू करने में विफल रहने पर वह ‘असहाय’ महसूस कर रहे हैं
इसी के साथ उन्होंने कपिल सिब्बल के घर के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन के खिलाफ भी आवाज उठाई है. दरअसल सिब्बल ने बुधवार को पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाया था और पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की मांग भी उठाई थी. इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था.
पी चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘जब हम पार्टी मंचों के भीतर सार्थक बातचीत शुरू नहीं कर पाते हैं तो मैं असहाय महसूस करता हूं.जब मैं अपने एक सहयोगी और सांसद के आवास के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा नारे लगाते हुए तस्वीरें देखता हूं तो मैं भी आहत और असहाय महसूस करता हूं.’
कपिल सिब्बल ने क्या कहा था?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा था, ‘कांग्रेस में अब कोई निर्वाचित अध्यक्ष नहीं है. हम नहीं जानते कि पार्टी के निर्णय कौन ले रहा है.’ दरअसल, कांग्रेस नेता ने पंजाब के राजनीतिक संकट को लेकर यह बयान दिया था. सिब्बल ने कहा, ‘हम जी-23 हैं, निश्चित रूप से जी हुज़ूर-23 नहीं हैं. पार्टी के सामने हम मुद्दों को उठाते रहेंगे.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह कभी भी जी-23 नहीं था, यह हमेशा जी-23 प्लस रहा है. कपिल सिब्बल ने आगे कहा था, ‘हम शीर्ष नेतृत्व से बात करते रहेंगे. अपनी मांगों को दोहराना जारी रखेंगे. बता दें कि कपिल सिब्बल कांग्रेस के उन 23 नेताओं में से एक हैं जिन्होंने पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर शीर्ष नेतृत्व में व्यापक बदलाव की मांग की थी.
गुलाम नबी आजाद ने लिखा था पत्र
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि पार्टी से जुड़े मामलों पर चर्चा के लिए कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की तत्काल बैठक बुलाई जाए. सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष आजाद ने पत्र में कहा था कि पार्टी से कई नेताओं के अलग होने के मद्देनजर आंतरिक रूप से चर्चा की जाए.
मनीष तिवारी ने क्या कहा था?
मनीष तिवारी ने कहा कि वर्तमान में पंजाब में जो कुछ भी हो रहा है उससे सबसे ज्यादा खुशी पाकिस्तान और आईएसआई को होगी. उन्होंने कहा, ‘पंजाब के एक सांसद के रूप में, मैं पंजाब में हो रही घटनाओं से बेहद व्यथित हूं. पंजाब में शांति अत्यंत कठिन थी. 1980-1995 के बीच उग्रवाद और आतंकवाद से लड़ने और पंजाब में शांति वापस लाने के लिए 25,000 लोगों ने बलिदान दिया, जिनमें से अधिकांश कांग्रेसी थे.’ कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ‘पंजाब सीमावर्ती राज्य है, यह मुख्य रूप से कृषि कानूनों के खिलाफ लोगों में आक्रोश के कारण तीव्र सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है. इस स्थिति में, अगर इस तरह की उथल-पुथल सार्वजनिक तौर पर होंगे, तो इसका सीमावर्ती राज्य पंजाब की स्थिरता पर सीधा और गंभीर प्रभाव पड़ेगा.’
नटवर सिंह ने भी साधा पार्टी पर निशाना
वहीं पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने भी कांग्रेस पर हमला बोला है. TV9 भारतवर्ष से खास बातचीत में नटवर सिंह ने कहा, ‘जो फैसले दिल्ली में हुए, वह गलत थे, यही कांग्रेस में असंतोष का कारण भी है.’
नटवर सिंह ने कहा, ‘पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को हटा दिया गया. रात 12:00 बजे ऐलान किया कि पीसीसी की मीटिंग होगी. इसके बारे में अमरिंदर सिंह को नहीं बताया गया. अमरिंदर सिंह 9 बरस से ज्यादा पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं, 52 साल से कांग्रेस में काम कर रहे हैं. इस तरह उनकी आप बेज्जती करें तो अमरिंदर को इस्तीफा तो देना ही था. फिर कहा गया कि पीसीसी प्रेसिडेंट बनाएंगे नवजोत सिंह सिद्धू को, यह किसका आईडिया था. यह प्रियंका वाड्रा का आईडिया था.’