पटना के दीघा घाट में बुलडोजर कार्रवाई: अतिक्रमण हटाने के खिलाफ स्थानीय लोगों का विरोध

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पटना के दीघा घाट में बुलडोजर कार्रवाई: अतिक्रमण हटाने के खिलाफ स्थानीय लोगों का विरोध

एशियन टाइम्स रिपोर्टर, पटना: राजधानी पटना के दीघा घाट क्षेत्र में जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस दौरान प्रशासन ने कई मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलाया, जिससे वहां रहने वाले गरीब और स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। इस कार्रवाई के खिलाफ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और कुछ निवासियों ने अदालत में याचिका दायर कर बुलडोजर पर रोक लगाने का आदेश प्राप्त किया।

कार्रवाई की पृष्ठभूमि

गंगा नदी के किनारे दीघा घाट क्षेत्र में वर्षों से लोग निवास कर रहे थे। इनमें से कई मकान और दुकानें बिना किसी सरकारी अनुमति के बनाए गए थे। प्रशासन का दावा है कि ये निर्माण अवैध हैं और सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों के अनुसार इन्हें हटाया जाना आवश्यक है।

बिहार सरकार और जिला प्रशासन पहले से ही इस क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की योजना बना रहे थे, ताकि गंगा नदी के किनारे की भूमि को संरक्षित किया जा सके और जेपी गंगापथ परियोजना को सुचारू रूप से पूरा किया जा सके।

प्रशासन की कार्रवाई

पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर जिला प्रशासन और नगर निगम ने मिलकर इस अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू की। बुलडोजर की मदद से कई मकान तोड़े गए, जिससे सैकड़ों परिवार बेघर हो गए। प्रशासन का कहना है कि कार्रवाई का उद्देश्य गंगा नदी के किनारों को अतिक्रमण मुक्त करना और सरकारी योजनाओं को लागू करना है।

प्रशासन के मुख्य तर्क:

  • गंगा किनारे की भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराना आवश्यक है।
  • सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों का पालन करना जरूरी है।
  • गंगापथ परियोजना के लिए यह अतिक्रमण हटाना अनिवार्य है।
  • अवैध निर्माणों के कारण पर्यावरणीय क्षति हो रही है।

स्थानीय लोगों का विरोध

दीघा के निवासियों का कहना है कि वे दशकों से यहां रह रहे हैं और उन्हें बेघर करना अन्यायपूर्ण है। गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को बिना किसी पुनर्वास योजना के बेघर किया जाना अमानवीय बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और कार्रवाई को रोकने की मांग की।

प्रभावित लोगों की मुख्य शिकायतें:

  • बिना उचित नोटिस दिए मकानों को तोड़ दिया गया।
  • पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
  • गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
  • बच्चों की पढ़ाई और रोज़गार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

कोर्ट का हस्तक्षेप और आदेश

बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ कुछ स्थानीय निवासियों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए प्रशासन से जवाब मांगा। कुछ मामलों में अदालत ने अतिक्रमण हटाने पर अस्थायी रोक लगा दी, लेकिन प्रशासन का कहना है कि सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण हटाने की प्रक्रिया जारी रहेगी।

सरकार और प्रशासन की योजना

बहुमंजिला आवास परियोजना

बिहार सरकार ने पटना सहित सात शहरों में शहरी गरीबों के लिए बहुमंजिला आवास बनाने की योजना बनाई है। पटना के राजीव नगर-दीघा इलाके में आवास बोर्ड की पांच एकड़ जमीन पर 750 आवासीय इकाइयाँ बनाई जाएँगी। यह निर्माण जन-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत होगा, जहाँ बिल्डर अपनी लागत निकालने के लिए कुछ फ्लैट बेच सकेंगे, जबकि बाकी फ्लैट गरीबों को आवंटित किए जाएँगे।

गंगाजल आपूर्ति योजना

पटना में भूजल स्तर में गिरावट को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने गंगा और सोन नदियों के जल को संग्रहित कर शहरी क्षेत्रों में पेयजल के रूप में आपूर्ति करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत, पालीगंज प्रखंड के उदयपुर गाँव के पास सोन नदी पर बराज का निर्माण किया जाएगा, जहाँ बाढ़ के दौरान जल संग्रहित किया जाएगा। इसके बाद, इस जल को शोधन कर पाइपलाइनों के माध्यम से पटना के विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर दीघा, मनेर और पालीगंज में आपूर्ति की जाएगी।

मुख्यमंत्री उद्यमी योजना

राज्य में उद्यमिता को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन के उद्देश्य से, बिहार सरकार ने “मुख्यमंत्री उद्यमी योजना” शुरू की है। इस योजना के तहत, राज्य के युवाओं और महिलाओं को स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसमें प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता, और व्यवसाय स्थापना में मार्गदर्शन शामिल है।

जल-जीवन-हरियाली अभियान

बिहार सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और जल संसाधनों के संवर्धन के लिए “जल-जीवन-हरियाली अभियान” शुरू किया है। इस अभियान के तहत, नए तालाबों की खुदाई, पुराने जलस्रोतों का जीर्णोद्धार, और वर्षा जल संचयन जैसे कार्य किए जा रहे हैं। इससे भूजल स्तर में वृद्धि हुई है, जिससे कृषि और पेयजल की समस्याओं का समाधान हो रहा है।

आगे की संभावनाएँ

  1. पुनर्वास योजना: प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास योजना लागू की जा सकती है, ताकि उन्हें रहने के लिए वैकल्पिक स्थान दिया जा सके।
  2. कानूनी प्रक्रिया: यदि स्थानीय लोग कोर्ट में अपील करते हैं, तो यह मामला लंबा खिंच सकता है।
  3. राजनीतिक प्रभाव: इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया आ सकती है।
  4. सरकारी विकास कार्य: दीघा क्षेत्र में नए पुल, सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचे विकसित किए जा सकते हैं।

पटना के दीघा घाट में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। सरकार और कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए प्रशासन बुलडोजर चला रहा है, लेकिन स्थानीय लोग अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

अब देखना यह होगा कि इस मामले में सरकार क्या कदम उठाती है और क्या प्रभावित लोगों के लिए कोई राहत योजना लाई जाती है या नहीं।

(एशियन टाइम्स के लिए विशेष रिपोर्ट

(Tanvir Alam Sheikh)

 

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