प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के दौरान, 29 जनवरी को एक दुखद हादसा हुआ, जिसमें भीड़ के दबाव के कारण कम से कम 38 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। यह घटना उस समय हुई जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर स्नान करने के लिए एकत्रित हुए थे। सुबह के समय, जैसे ही श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ी, सुरक्षा कर्मियों के लिए भीड़ को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो गया, जिसके परिणामस्वरूप यह हादसा हुआ।
हादसे के कारण प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि हादसे का मुख्य कारण भीड़ का अत्यधिक बढ़ना और उसे नियंत्रित करने में आई कठिनाइयाँ थीं। सुबह के समय, जब श्रद्धालुओं की संख्या में अचानक वृद्धि हुई, तो सुरक्षा कर्मियों के लिए भीड़ को संभालना मुश्किल हो गया। इसके अलावा, कुछ स्थानों पर अव्यवस्थित व्यवस्थाओं और संचार की कमी के कारण भी स्थिति बिगड़ी।
सरकारी तैयारियाँ और व्यवस्थाएँ
महाकुंभ 2025 के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक तैयारियाँ की थीं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रयागराज में 200 नई सड़कों का निर्माण और सुधार कार्य किया गया था, साथ ही सड़कों को हरियाली और सौंदर्य के लिए 3 लाख पौधों से सजाया गया था।
इसके अतिरिक्त, महाकुंभ को जीरो फायर इंसिडेंट जोन बनाने के लिए भी विशेष प्रयास किए गए थे। मेला क्षेत्र में 50 अस्थायी फायर स्टेशन स्थापित किए गए थे, और आग की घटनाओं की निगरानी के लिए एआई से लैस फायर डिटेक्शन कैमरों को भी इंस्टॉल किया गया था। प्रत्येक सेक्टर में दमकल कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी, और रिस्पॉन्स टाइम को महज 2 मिनट का रखा गया था।
हादसे के बाद की सरकारी कार्रवाई ,हादसे के तुरंत बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय किया। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, और मृतकों के परिवारों को सूचित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और तत्काल उपाय करने के निर्देश दिए।
इस हादसे ने महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन की चुनौतियों को उजागर किया है। भविष्य में, ऐसे आयोजनों के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए और अधिक प्रभावी उपायों की आवश्यकता होगी, ताकि इस तरह की दुखद घटनाओं से बचा जा सके।
@Tanvir Sheikh