इस्लामाबाद: पाकिस्तान की संसद ने सोमवार को शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) को निर्विरोध देश का 23वां प्रधानमंत्री चुन लिया. इमरान खान (Imran Khan) के खिलाफ आठ मार्च को लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के बाद से देश में बनी अनिश्चितता की स्थिति समाप्त हो गयी. प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद शहबाज शरीफ ने जम्मू-कश्मीर और अनुच्छेद 370 पर बड़ा बयान दिया. साथ ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को संदेश भी दिया. कहा कि कश्मीर मुद्दे का समाधान कश्मीर के लोगों की इच्छा के अनुरूप ही होना चाहिए.
पाकिस्तान के सबसे बड़े सियासी ड्रामा के अंत होने के बाद शहबाज शरीफ ने कहा कि गरीबी और बेरोजगारी दोनों ओर है. लोगों के पास दवाई नहीं है. ऐसे में हम आने वाली पीढ़ियों को बर्बाद क्यों करना चाहते हैं. पीएम की शपथ लेने से पहले ही शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान की न्यूनतम आय 25 हजार रुपये करने का ऐलान कर दिया.
बता दें कि संसद में वोटिंग से पहले पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ के संसद में मतदान में भाग नहीं लेने और वॉकआउट करने की घोषणा की थी, जिसके बाद 70 साल के शहबाज प्रधानमंत्री पद की दौड़ में अकेले उम्मीदवार रह गये थे.
स्पीकर अयाज सादिक ने इस सत्र की अध्यक्षता की और नतीजों की घोषणा की, जिसके अनुसार, ‘शहबाज शरीफ को 174 वोट मिले हैं और उन्हें पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य का प्रधानमंत्री घोषित किया जाता है.’ इससे पहले डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने कहा था कि उनकी अंतरात्मा सत्र के संचालन की इजाजत नहीं देती. 342 सदस्यीय सदन में जीत के लिए कम से कम 172 सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी.
प्रधानमंत्री के रूप में सदन में अपने पहले भाषण में शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कामयाब हुआ है. उन्होंने कहा, ‘बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है.’ उन्होंने कहा कि यह पूरे देश के लिए आज बड़ा दिन है, जहां एक चुने हुए प्रधानमंत्री को कानूनी और संवैधानिक तरीके से घर भेज दिया गया है.
तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज ने कहा कि अमेरिकी डॉलर का मूल्य पाकिस्तान के रुपये के मुकाबले आज 8 रुपये कम होना ‘जनता की खुशी’ को दर्शाता है. उन्होंने शीर्ष अदालत के ‘सर्वसम्मति से दिये गये’ फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस दिन फैसला सुनाया, उसे पाकिस्तान के इतिहास में ‘ऐतिहासिक दिन’ के तौर पर दर्ज किया जाना चाहिए.
‘पत्र विवाद’ पर शहबाज शरीफ ने कहा कि खत 7 मार्च को आया था, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला उससे पहले ले लिया गया था. उन्होंने कहा, ‘इसलिए यदि (पूर्ववर्ती सरकार ने जो दावा किया वह) गलत है, तो मामले को पारदर्शिता के साथ जनता के सामने रखा जाना चाहिए.’
उन्होंने घोषणा की कि संसद की सुरक्षा संबंधी समिति इसके सदस्यों को ‘धमकी भरे पत्र’ मिलने के मामले में सशस्त्र बलों के अधिकारियों और नौकरशाहों, आईएसआई प्रमुख, विदेश सचिव तथा इसे लिखने वाले राजदूत की मौजूदगी में सदस्यों को ब्रीफिंग देगी. सुरक्षा समिति की बैठक बंद कमरे में जल्द से जल्द करने का संकल्प जताते हुए शहबाज ने कहा, ‘अगर इस बात के रत्ती भर भी सबूत मिलते हैं कि हमें विदेशी साजिशकर्ताओं से मदद मिली, तो स्पीकर साहब मैं आपको और अल्लाह को साक्षी मानकर एक भी सेकेंड पद पर नहीं रहना चाहूंगा और इस्तीफा दे दूंगा.’