नितीश और तेजस्वी की दोस्ती मिसाल दे रही हैं महागठबंधन सरकार ने 24 अगस्त को विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया. उससे पहले विजय सिन्हा ने विधानसभा अध्यक्ष पद से 24 अगस्त को ही अपने संबोधन के बाद इस्तीफा दे दिया था लेकिन नेता प्रतिपक्ष बनते ही विजय सिन्हा ने दिखाया अपना तेवर उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि कल के विशेष सत्र में सरकार को उन दो प्रतिवेदनों को सदन के पटल पर रखना होगा, जिसे सदन की कार्यसूची से अचानक बदल दिया गया था। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा और विधान परिषद में विरोधी दल के नेता सम्राट चौधरी ने सरकार से मांग की है कि कल के सत्र के दौरान विधानसभा की समिति का प्रतिवेतन और आचार समिति के रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखकर उसपर विशेष चर्चा की जाए।
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि कल सदन की कार्यसूची में अचानक बदलाव कर दिया गया था। उन्होंने सरकार से पूछा है कि विधानसभा की समिति का प्रतिवेतन सदन के समक्ष क्यों नहीं रखा गया। बार बार कहने के बावजूद प्रतिवेदन को सदन के पटल पर नहीं रखा गया। उन्होंने कहा है कि कल सदन की कार्यसूची में इसे जोड़ने के लिए विधानसभा सचिव और संसदीय कार्य मंत्री को पत्र भेजा है। उन्होंने बताया कि यह मामला विधानसभा के अंदर आया था और घोटाला से संबंधित था। इसकी जांच के लिए विशेष समिति का गठन किया गया था। इस समिति की रिपोर्ट आ गई है, जिसे सदन के पटल पर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सरकार भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस की बात करती है तो इसे सदन के पटल पर रखने में क्या परेशानी है।
उन्होंने कहा कि दूसरा प्रतिवेदन आचार समिति का है, जिसमें डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत कई मंत्री के उपर कार्रवाई के लिए लिखा गया है। सरकार कहती है कि अपराध मुक्त बिहार बनाएंगे, तो न्याय होना चाहिए। जिसने भी संवैधानिक नियमों को तार तार किया है ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं होगी और संवैधानिक संस्थाओं की गरीमा नहीं बचाई जाएगी तो लंबी लंबी बात करने से लोगों का विश्वास नहीं जगेगा। संवैधानिक पद पर बैठे लोग अपने पद की गरिमा बरकरार रखें।
उन्होंने कहा कि सदन के अंदर संविधान के ज्ञाताओं ने जिस तरह से संविधान का पाठ पढ़ाने का काम किया लेकिन हमने संयम रखा। सदन के नेता के सम्मान में कोई कमी नहीं रखी। नेता प्रतिपक्ष हो या नेता सदन हो सभी का सम्मान मर्यादा के तहत होनी चाहिए। सदन में न तो कोई चाचा है और ना ही भतीजा, न कोई बच्चा है और ना कोई बड़ा। जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले दोनों प्रतिवेदन को कल सदन के पटल पर रखें और इसपर पारदर्शिता के साथ बहस होनी चाहिए।