नई दिल्ली। ब्यूरो। बिहार में महागठबंधन और नीतीश कुमार के बीच एक बार फिर गठबंधन हो गया है. समझौते के मुताबिक नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री होंगे. कांग्रेस के विधायक शकील अहमद खां ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे.पुराना महागठबंधन ही नए सिरे से बनाया जाएगा, जिसमें राजद और कांग्रेस के साथ जनता दल यू शामिल होंगे. शकील अहमद खां ने कहा, ‘बिहार से हमेशा बदलाव की शुरुआत हुई है, इसलिए वर्तमान बदलाव कोई नई बात नहीं है.’ दरअसल आज सुबह से ही 1 अणे मार्ग में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड की बैठक शुरू हो गई है. जदयू के तमाम सांसद और विधायक बैठक में मौजूद हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं. हालांकि अभी तक बैठक में क्या चर्चा हुई, इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. लेकिन कांग्रेस के विधायक ने महागठबंधन के साथ एक बार फिर गठबंधन होने की बात कह दी है. दरअसल बिहार में सभी की निगाहें अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जद-यू) और मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) द्वारा अपने-अपने विधायकों की बुलाई गई बैठकों पर है, जिससे राज्य में राजनीतिक माहौल गर्म है. सोमवार की देर शाम तक व्यस्त राजनीतिक गहमागहमी जारी रही और दोनों पार्टियों में इससे अवगत लोगों ने जोर देकर कहा कि इन दलों का पुनर्मिलन बैठकों के एजेंडे का हिस्सा नहीं है. बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष चौधरी के पास वर्तमान में राज्य मंत्रिमंडल में संसदीय मामलों का विभाग है. चौधरी ने कहा, ”वरिष्ठ नेता ने पार्टी में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान कई सदस्यों के साथ संबंध बनाए होंगे. अब जबकि उनसे स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया है तो यह जानने की जरूरत महसूस की जा रही है कि अन्य वरिष्ठ नेता इस प्रकरण को कैसे देखते हैं. कल की बैठक उन्हें इसके लिए एक अवसर प्रदान करेगी.” आरसीपी सिंह लगभग तीन दशक तक नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी रहे हैं. हालांकि राजद के संस्थापक अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी यादव को राजद की ओर से सभी निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया है और पार्टी के अन्य साथी द्वारा प्रसारित सभी विचारों को उनकी व्यक्तिगत राय माना जाएगा. पार्टी नेतृत्व से प्राधिकृत राय ही दल का रूख होगा. बिहार में राजनीतिक बदलाव की अटकलों के बीच भाजपा की राज्य इकाई की ओर से कोई प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आयी है. देर शाम पार्टी नेताओं ने उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के आवास पर बंद कमरों में हालांकि मुलाकात की, पर क्या नतीजे रहे इस पर कोई भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं दिखा. राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने राज्य में राजनीतिक बदलाव की अटकलों के बीच एक कदम आगे बढ़ते हुए नीतीश के भाजपा से नाता तोड़ लेने की स्थिति में बिना शर्त उनका समर्थन करने का एकतरफा ऐलान कर दिया है. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) सचिव और पार्टी विधायक शकील अहमद खान ने कहा, ”सभी पार्टी विधायकों ने सर्वसम्मति से नीतीश के भाजपा से नाता तोड़ने की स्थिति में अस्तित्व में आने वाले नए समीकरण का समर्थन करने का संकल्प लिया है.” 1990 के दशक से एक-दूसरे की सहयोगी रही जदयू और भाजपा की हाल के दिनों में अग्निपथ योजना, जाति जनगणना, जनसंख्या कानून और लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध जैसे मुद्दों पर अलग-अलग राय रही है. हालांकि, जदयू ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में राजग के उम्मीदवारों का समर्थन किया, लेकिन नीतीश कुमार की इनसे संबंधित कई कार्यक्रमों में अनुपस्थिति और रविवार को नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने के उनके फैसले के साथ-साथ जदयू और भाजपा के बीच राजनीतिक गतिरोध की अटकलों के बीच वे अपनी चुप्पी कब तोड़ते हैं, इसपर अब सबकी निगाहें टिकीं हुई हैं ।