हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ाने का प्रस्ताव 1968 में हुआ था पास

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दिल्ली । ब्यूरो। 18 जनवरी 1968 को देश की संसद के दोनों सदनों ने राजभाषा प्रस्ताव को पारित किया. राजभाषा संकल्प के अनुसार भारत संघ द्वारा आधिकारिक उद्देश्य के लिए हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ाने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम का प्रस्ताव पारित हुआ था। संसद में पारित राजभाषा संकल्प के अनुसार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार देवनागरी लिपि में हिंदी संघ की राजभाषा होगी. प्रस्ताव में यह भी कहा गया की प्रगति का एक वार्षिक माप भी संसद के सदनों के सामने रखा जाएगा इसके बाद इसे सभी राज्यों को भी भेजा जाएगा. राजभाषा संकल्प के अनुसार संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 14 प्रमुख भाषाओं को आगे बढ़ाने के उपाय किए जाने चाहिए. वहीं हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं में हिंदी भाषा,आशुलिपि और टाइपिंग में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए हिंदी प्रशिक्षण योजना को शामिल किया गया. इसी संकल्प के तहत देश में केंद्रीय हिंदी समिति का गठन प्रधानमंत्री के अध्यक्षता में किया गया इसके तहत देशभर में केंद्रीय हिंदी संस्थान खोले गए. क्यों पड़ी राजभाषा संकल्प की जरूरत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 एक के अनुसार देवनागरी लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया. वही अनुच्छेद 343(2) में प्रावधान किया गया कि संविधान के लागू होने की तारीख से 15 साल की अवधि के लिए यानी 25 जनवरी 1965 तक संघ के अधिकारी कार्यों में अंग्रेजी का इस्तेमाल जारी रहेगा. बाद में 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया जिसके चलते 25 जनवरी 1965 के बाद भी अंग्रेजी का निरंतर उपयोग जारी रहा. इस अधिनियम के अनुसार संकल्प, नियम, सामान्य, आदेश आदि सूचनाएं, प्रेस विज्ञप्ति, प्रशासनिक और अन्य रिपोर्ट, लाइसेंस, निविदा जैसे उद्देश्यों में अंग्रेजी और हिंदी दोनों का उपयोग किया जाएगा. वहीं फिर देश में हिंदी को बढ़ावा देने की बात की जाने लगी क्योंकि पूरे देश में अभिव्यक्ति का बड़ा माध्यम हिंदी ही था. इसीलिए 1968 में राजभाषा संकल्प को पारित किया गया. राजभाषा संकल्प के प्रमुख बिंदु *1968 के राजभाषा संकल्प के अनुसार संघ द्वारा हिंदी का अधिकारिक उपयोग शुरू हुआ. *संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 14 प्रमुख भाषाओं को आगे बढ़ाने के उपाय किए जाने चाहिए जिसकी वजह से इस अनुसूची में अब 22 भाषाएं दर्ज हैं *त्रिभाषा फार्मूले को लागू करने की वकालत की गई . इस व्यवस्था के अनुसार हिंदीभाषी क्षेत्रों में हिंदी, अंग्रेजी किसी अन्य आधुनिक भारतीय भाषा के अध्ययन के लिए क्षेत्रीय भाषा के उपाय किए जाने चाहिए. *केंद्र सरकार में विभिन्न पदों पर उम्मीदवारों के चयन के लिए हिंदी और अंग्रेजी का ज्ञान अनिवार्य होगा. * आठवीं अनुसूची में सभी भाषाओं को अखिल भारतीय केंद्रीय सेवा परीक्षाओं के लिए वैकल्पिक मीडिया के रूप में अनुमति दी जाएगी.

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